February 14, 2025

आ स. संवाददाता 

कानपुर। नगर के खलासी लाइंस में स्थित शास्त्री भवन में नौटंकी प्रशिक्षण केंद्र की ओर से राजा हरिश्चंद्र तारामती की कहानी का मंचन किया गया। सत्य और वचन की रक्षा के लिए राजा हरिश्चंद्र ने अपनी रानी तारा व पुत्र रोहित तक का परित्याग करने में एक पल भी नहीं सोचा। केंद्र द्वारा किये गए इस संगीतमय नाटक के अद्भुत मंचन ने दर्शकों का मनमोह लिया।
नाट्य मंचन का शुभारंभ डॉ. इंद्रमोहन रोहतगी ने दीप प्रज्जवलित कर किया। इस नाटक के मंचन कार्यक्रम से पूर्व उस्ताद रशीद खां वारसी पुरस्कार से अशोक नक्कारावादक को सम्मानित किया गया, पदमश्री गुलाब बाई पुरस्कार से मोहम्मद शाहिद को, हाजीपीर पुरस्कार से सुशील चक को और पं. सिद्धेश्वर अवस्थी पुरस्कार से सुशील, मुन्नी, रामभरोसे बाघमार को सम्मानित किया गया।
इस कर्यक्रम के मुख्य अतिथि ने कहा कि राजा हरिश्चंद्र तारामती की कहानी भले ही युगों पुरानी हो, लेकिन आज भी वह अपनी सत्यपरक सार्थकता के कारण हर वर्ग के लोगों में लोकप्रिय है। सत्य और वचन की रक्षा के लिए राजा हरिश्चंद्र ने अपना सब कुछ त्याग दिया, लेकिन सत्य का साथ कतई नहीं छोड़ा।

राजा हरिश्चन्द्र ने मुनि विश्वामित्र की ओर से ली जाने वाली कठिन परीक्षा में सत्य, वचन कर्तव्य व धर्म को ही सर्वोपरि रखा। यही कारण है आज भी सत्य के पर्याय के रुप में केवल राजा हरिश्चंद्र का नाम ही लिया जाता है।