कानपुर। एन्टी करप्शन टीम की ओर से पकडा गया केडीए का बेलदार रिश्वत लेते-लेते करोडपति बन चुका है। कानपुर विकास प्राधिकरण में तैनात बेलदार केडीए में विक्रय विभाग के बाबुओं के पास रजिस्ट्री या नामांतरण की फाइल जाते ही फंस जाती हैं। केडीए उपाध्यक्ष की सख्ती के बाद भी कुछ बाबू तो ऐसे हैं जो बिना घूस लिए काम ही नहीं करते हैं। घूस नहीं दी तो रजिस्ट्री ही मुश्किल है। हकीकत यह है कि सिंगल विंडो सिस्टम इसलिए बनाया गया था कि फाइलें फटाफट निपटें, लेकिन ये भी बेकार है।आवेदनों का रोस्टर के हिसाब से निस्तारण हो सकता है । मगर ज्यादातर केस में ऐसा होता ही नहीं। किस्तों के भुगतान की रसीदों के मिलान की जिम्मेदारी केडीए की है। लेखा विभाग में इसका सारा रिकॉर्ड है, मगर बाबुओं ने आवंटियों पर इसका जिम्मा इसलिए छोड़ा है कि वे परेशान हो और थक कर चूर हो जाएं और मजबूर होकर रिश्वत दे दें।रंगे हाथों गिरफ्तार हुआ बेलदार नीरज मल्होत्रा भी दीपेंद्र कुमार शुक्ला को इसीलिए मजबूर कर रहा था। विजिलेंस टीम ने उसे धर दबोचा। नीरज ने बर्रा में तात्याटोपे नगर में दो एचआईजी कॉलोनी मिलाकर बड़ा मकान खरीदा है। इस मकान की कीमत ही करीब 2 करोड़ रुपए है। सेटिंग कर उसने कॉर्नर का प्लॉट लिया था। सूत्रों के मुताबिक बेलदार की सैलरी करीब 40 से 50 हजार ही मिलती है। बावजूद इसके घर, गाड़ी से लेकर अच्छी और महंगी लाइफ स्टाइल जीता है। जबकि ये केडीए में फोर्थ क्लास कर्मचारी है।हकीकत यह है कि बसंत विवाह के डब्ल्यू-2 निवासी कुसुम देवी शुक्ला को ईडब्ल्यूएस प्लॉट 8 मार्च 1984 को आवंटित हुआ था। नियमानुसार उन्होंने केडीए की किस्तों का भुगतान भी किया। नीरज मल्होत्रा ने कुसुम देवी के पति दीपेंद्र को दौड़ाना नहीं छोड़ा। पर्ची पर लिखकर दे दिया 10 हजार। दीपेंद्र ने नहीं समझा तो खुलकर बता दिया। कहा-इतने पैसे दोगे तभी रजिस्ट्री होगी।दीपेंद्र ने सोच लिया था कि रिश्वत तो किसी सूरत में नहीं देंगे।अब विजिलेंस की टीम इस बात की भी जांच करेगी कि नीरज मल्होत्रा के पास रिश्वत के अतिरिक्त 37,140 रुपये कहां से आए? इस संबंध में भी पूछताछ हो रही है कि क्या यह रकम भी किसी और से लिए गए रिश्वत की थी।फिलहाल यह रकम जब्त कर ली गई है। अब केडीए भी सीसीटीवी फुटेज खंगालेगा और नीरज की पिछले कई दिनों तक की कार्यशैली और हरकत को देखेगा। बताते चलें कि पूरे केडीए भवन में सीसीटीवी कैमरे लगे हैं।नीरज के रंगे हाथों पकड़े जाने की अधिकृत जानकारी विजिलेंस ने नहीं दी है। हालांकि इस घटना का उपाध्यक्ष मदन सिंह गर्ब्याल ने संज्ञान लिया है। विशेष कार्याधिकारी सत शुक्ला से भी जानकारी मांगी गई है। उसे आज या कल तक निलंबित किया जा सकता है। दूसरी ओर उत्तर प्रदेश सतर्कता अधिष्ठान कानपुर सेक्टर द्वारा इस मामले में अभियोग पंजीकृत करा दिया गया है।केडीए सचिव अभय कुमार पांडेय ने बताया कि हम लोग लगातार ऐसे मामलों को ट्रेस कर रहे हैं जो जानबूझकर लटकाए जाते हैं। इसके लिए बकायदा रजिस्टर बना है। कामकाज पारदर्शी होगा। जो कर्मी इस तरह के काम में लिप्त पाए जाएंगे उनके खिलाफ कार्रवाई होगी।