जिसने पाया राम धन, जग से उसे न काम|
वचन कर्म मन से सदा, जपे राम का नाम||
सदा साथ साहस रहे, रहते मन में राम|
प्रभु उनकी विपदा हरे, पूरे होते काम||
जिसके वश में इंद्रियाँ, नर वो बने महान|
मनुज श्रेष्ठ वो राम सा, जग में पाता मान||
राम भक्ति दीपक करे, सकल जग में प्रकाश|
निर्मल मन शुभ चेतना, रखता प्रभु विश्वास||
राजा जग के राम हैं, उत्तम मानव जान |
मर्यादा में कर्म हैं, पुरुषोत्तम जग मान||
नगर अयोध्या है सजा, सरयू सरिता तीर|
चैत्र शुक्ल नवमी दिवस, जन्म लिए रघुवीर|
—संजीव कुमार भटनागर