February 5, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर। 
भारतीय दलहन अनुसंधान संस्थान, कानपुर ने अरहर की प्रजाति के दो बीज तैयार किए है। ये बीज  किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित होंगे। इस बीज को तैयार करने के लिए यूपी के पर्यावरण को खासतौर से ख्याल रखा गया है। ये बीज यूपी के हर कोने में रहने वाले किसानो के लिए काफी अच्छे साबित होंगे।
वैज्ञानिकों ने बताया कि अरहर की पहली प्रजाति आईपीए 15-2 को शारदा कहते है। वहीं, दूसरी प्रजाति आईपीए  206 को गंगा कहते है। इस प्रजातियों को तैयार करने में वैज्ञानिकों ने सेहत का भी खास ख्याल रखा है। इसमें लगभग 20 से 22 प्रतिशत तक प्रोटीन की मात्रा पाई जाती है। ये किसानों को अधिक उपज भी देंगी।
संस्थान के वैज्ञानिक डॉ.पीके कटियार ने बताया कि शारदा बीज अधिक उपज देने वाला है। इसे जुलाई के मध्य में बोते है। इसकी फसल 230 से 245 दिनों के बीच पक कर तैयार होती है। एक हेक्टेयर में करीब 28 कुंतल उपज देती है। ये फसल मार्च में कटती है।
गंगा प्रजाति की दाल अन्य अरहर से बिल्कुल अलग है। इसका छिलका एकदम काला रहता है। अंदर दाल हल्के गोल्डन रंग की होती है। शारदा से कुछ प्रतिशत गंगा में प्रोटीन ज्यादा होती है। इसको भी जुलाई के मध्य में बोया जाता है। 230 से 245 दिनों में ये फसल भी पक कर तैयार हो जाती है। मार्च-अप्रैल के बीच में ये फसल कटने के लिए तैयार हो जाती है। ये एक हेक्टेयर में करीब 26 से 28 कुंतल तक उपज देती है।
डॉ. कटियार ने बताया कि इस प्रजाति की खास बात ये है कि बरसात का पानी मिलने से इसकी उपज और अच्छी हो जाती है। अन्य प्रजातियों के मुकाबले में इसमें पानी भी कम लगता है। इसलिए किसानों की लागत में भी कमी आती है।