June 20, 2025

संवाददाता

कानपुर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर में आज अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस 2025 के उपलक्ष्य में एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग का भव्य शुभारंभ विश्वविद्यालय  में एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग विषयक संगोष्ठी से प्रारंभ हुआ। इस संगोष्ठी का आयोजन शारीरिक शिक्षा विभाग तथा कला, मानविकी एवं सामाजिक विज्ञान विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया गया। इस संगोष्ठी का शीर्षक एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य: योग, ज्ञान और अनुभव का समग्र संगम था, जो योग, स्वास्थ्य और पर्यावरण के बीच गहरे और समग्र संबंधों को रेखांकित करती है।

संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र का शुभारंभ विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति, विशिष्ट अतिथिगण  एवं योग विशेषज्ञों की गरिमामयी उपस्थिति में हुआ। इस सत्र की शुरुआत दीप प्रज्वलन और सरस्वती वंदना से हुई | 

विशिष्ट अतिथि के रूप में वरिष्ठ आयुर्वेदाचार्य निरंकार गोयल ने कहा कि 11वीं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का विषय एक पृथ्वी, एक स्वास्थ्य यह बताता है कि योग न सिर्फ मानवता के लिए, बल्कि प्रकृति और पर्यावरण के लिए भी अत्यंत महत्वपूर्ण है। 

मुख्य वक्ता के रूप में बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय, लखनऊ के सह आचार्य डॉ. दीपेश्वर सिंह ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि योग अभ्यास की पद्धति और एक ही अभ्यास के विभिन्न तरीकों पर होने वाले वैज्ञानिक अनुसंधान योग की महत्ता को और भी बढ़ा रहे हैं। इसके अतिरिक्त, प्रो. अंशु यादव, छात्र कल्याण अधिष्ठाता, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय, कानपुर ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए।

संगोष्ठी के मुख्य अतिथि, प्रख्यात योगाचार्य पद्मश्री भारत भूषण ने ऑनलाइन माध्यम से अपना संदेश देते हुए कहा कि योग केवल एक व्यक्ति के लिए नहीं, बल्कि समस्त मानव समुदाय के लिए है, और इसके लिए देश की सीमाएं कोई बाधा नहीं हैं। 11वीं अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के इस शुभ अवसर पर, उन्होंने सभी को नियमित योग अभ्यास करने के लिए प्रेरित किया और इसके प्रति संकल्पित रहने की अपील की।

कार्यक्रम कि अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि योग फ्लाई एंड फाइट का विज्ञान है, जो सफलता और असफलता के बीच संतुलन बनाने का तरीका है। उन्होंने यह भी बताया कि योग अंतर्ज्ञान और ऊर्जा के सही समायोजन का विज्ञान है, और यह सब योगाचार्य ही सिखा सकते हैं। अपने विचारों में प्रति कुलपति ने योग के सभी आयामों को रेखांकित किया और उसके महत्व के साथ-साथ योगाचार्य की भूमिका को भी स्पष्ट किया।

इस अवसर पर कार्यक्रम के संयोजक डॉ. मानस उपाध्याय, असिस्टेंट प्रोफेसर, समाजशास्त्र द्वारा लिखित पुस्तक भारत का पुनरुद्धार: स्वदेशी ज्ञान और शैक्षिक सुधारbका विमोचन भी किया गया। 

कार्यक्रम के दूसरे सत्र में टेक्निकल सत्र का आयोजन किया गया, जिसमें विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों से आए शोधकर्ताओं एवं योग विशेषज्ञों ने अपने-अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र में शोध पत्रों पर चर्चा का मुख्य ध्यान योग के चिकित्सीय लाभ, मानसिक स्वास्थ्य पर प्रभाव, दार्शनिक आधार, और आधुनिक जीवन में योग की प्रासंगिकता जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर केंद्रित था।

इस सत्र में कुल 108 शोध पत्रों का वाचन और प्रस्तुतीकरण किया गया। जिसमे प्रगति को प्रथम स्थान, अंजली रघुवंशी को द्वितीय स्थान और अभिषेक ने तृतीय स्थान प्राप्त किया | इन सभी शोधार्थियों को स्मृति चिन्ह और प्रशस्ति पत्र प्रदान करते हुए सम्मानित किया गया। 

आज के इस अंतर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के साथ विश्वविद्यालय में 21 दिवसीय 11वीं  अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ हो गया है। इस बार का योग दिवस राज्यपाल महोदय द्वारा निर्देशित 10 बिंदुओं के आधार पर मनाया जा रहा है, जो योग के विभिन्न पहलुओं और इसके जीवन में महत्व को उजागर करता है।

आज से निर्धारित 10 कार्यक्रमों का आयोजन अलग-अलग तिथियों पर किया जाएगा, जिनमें योग से संबंधित विभिन्न गतिविधियाँ और सत्र आयोजित किए जाएंगे। इन कार्यक्रमों के माध्यम से योग के वैज्ञानिक, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक लाभों पर विस्तृत चर्चा की जाएगी। 

इस अवसर पर छात्र कल्याण अधिष्ठाता  प्रो. अंशू यादव, डॉ. श्रवण कुमार, डॉ. रामकिशोर, डॉ.स्वेता पांडे, डॉ. आशीष कटियार, डॉ. आदर्श श्रीवास्तव एवं विश्वविद्यालय के समस्त शोध छात्र उपस्थित रहे।