May 23, 2025

संवाददाता 

कानपुर।  भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान ने वर्चुअल लैब्स पर राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया, जिसमें भारत के उच्च शिक्षा क्षेत्र में डिजिटल लर्निंग टूल्स के परिवर्तनकारी प्रभाव को उजागर किया गया। इस सम्मेलन में शिक्षा मंत्रालय की प्रमुख वर्चुअल लैब्स पर पहल के अंतर्गत  200  से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया, जिनमें शिक्षाविद, डेवलपर्स, छात्र और सेवा प्रदाता शामिल थे।

दो दिवसीय इस कार्यक्रम में एक प्लेनरी टॉक, मुख्य भाषण, व्याख्यान और पैनल चर्चाएं आयोजित की गईं। अलग-अलग सत्रों में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी उभरती तकनीकों, शैक्षिक प्रगति, उपयोगकर्ता अनुभव और शिक्षा में रिमोट एवं वर्चुअल प्रयोगों के बढ़ते महत्व पर विस्तार से चर्चा की गई।

कार्यक्रम का उद्घाटन आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल द्वारा किया गया। इस अवसर पर वर्चुअल लैब्स परियोजना के राष्ट्रीय समन्वयक एवं इंद्रप्रस्थ सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान दिल्ली के निदेशक प्रो. रंजन बोस और आईआईटी कानपुर के अनुसंधान एवं विकास के डीन प्रो. तरुण गुप्ता भी उपस्थित रहे। 

वर्चुअल लैब्स सम्मेलन के प्रमुख अन्वेषक एवं समन्वयक प्रो. कांतेश बलानी ने भी सभा को संबोधित किया। उन्होंने वर्चुअल लैब्स के उपयोगकर्ता अब डेवलपर की भूमिका और नए वर्चुअल लैब प्रयोगों के सृजन में योगदान, विशेष रूप से थ्योरी कोर्स के पूरक के रूप में प्रयोगशालाओं की आवश्यकता जैसे अन्य विषयों पर चर्चा की। 

आईआईटी कानपुर के निदेशक प्रो. मणींद्र अग्रवाल ने देशभर के छात्रों के लिए वर्चुअल प्रयोगों की पहुंच को विस्तारित करने के उद्देश्य को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि वर्चुअल लैब्स कंसोर्टियम का उद्देश्य छात्रों को वर्चुअल वातावरण प्रदान करना है, जिसके माध्यम से वे प्रयोग कर सकें। हम कंसोर्टियम को प्रोत्साहित करते हैं कि ये लैब्स हिंदी और अन्य क्षेत्रीय भाषाओं में भी उपलब्ध कराई जाएं, ताकि वर्चुअल लैब का अनुभव वास्तविकता के और अधिक समीप हो सके। वर्चुअल लैब कंसोर्टियम को उनके आगामी प्रयासों के लिए मेरी शुभकामनाएं।

आईआईआईटी दिल्ली के प्रो. रंजन बोस ने वर्चुअल लैब्स परियोजना का परिचय दिया, जिसे शिक्षा मंत्रालय ने आईसीटी के माध्यम से शिक्षा पर राष्ट्रीय मिशन के अंतर्गत लागू किया गया है। इस परियोजना के तहत 175  से अधिक वर्चुअल लैब्स विकसित की गई हैं, जिनमें लगभग 1700  से अधिक वेब-सक्षम प्रयोग शामिल हैं, जिन्हें दूरस्थ रूप से संचालित किया जा सकता है।

प्रो. तरुण गुप्ता ने बताया कि आईआईटी कानपुर ने वर्चुअल लैब्स के नोडल सेंटर के रूप में 120 से अधिक कॉलेज शामिल किए गए हैं। उन्होंने कहा कि वर्चुअल लैब्स के पीछे की मानवीय कहानियों को साझा करना और अनुभव करना एक शानदार अनुभव रहा।

आईआईआईटी हैदराबाद के प्रो. वेंकटेश चोप्पेला ने इस विषय पर चर्चा करते हुए कहा  कि, वर्चुअल लैब्स किस प्रकार कई पहलुओं को रूपांतरित करता है और वर्चुअल लैब्स इंजीनियरिंग में किस तरह से नया बुनियादी ढांचा विकसित करने में मददगार हो सकता है। प्रो. चोप्पेला ने यह भी कहा कि आईआईटी कानपुर का यह कार्यक्रम हमें भारत के इस क्षेत्र के कई संस्थानों के डेवलपर्स के साथ जुड़ने का अवसर देता है और यह देखने का मौका भी देता है कि उपयोगकर्ताओं को कैसे जोड़ा जाए और उन्हें ऐसे ऑनलाइन टूल्स के डेवलपर्स में कैसे बदला जाए।

अमृता विश्व विद्यापीठम के प्रो. श्याम दिवाकर ने कहा कि  मैं इस बात से खुश हूं कि प्रस्तुतियों और वक्तव्यों में उपयोगकर्ताओं के वास्तविक समय के अनुभव और फीडबैक को दर्शाया गया।

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कर्नाटक के प्रो. गंगाधरन के.वी. ने सम्मेलन में कीनोट भाषण दिया। कीनोट भाषणों और पैनल चर्चाओं के अलावा, सम्मेलन में 20 छात्र समूहों, छह क्षेत्रीय केंद्रों और 30 नोडल केंद्र समन्वयकों द्वारा परियोजना प्रस्तुतियां दी गईं। चर्चा में जागरूकता से लेकर अवसंरचनात्मक चुनौतियों को पार करने और वर्चुअल लैब क्लब स्थापित करने जैसे कई विविध विषयों को शामिल किया गया।