November 5, 2024

कानपुर। आईआईटी  कानपुर और भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स  के बीच डाइरेक्ट टू मोबाइल  टेक्नोलॉजी पर करार हुआ है। मॉर्डन डिजिटल एजुकेशन और इनोवेशन के लिए  इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के निर्देशों के तहत समझौता ज्ञापन  हस्ताक्षर किया गया।
डायरेक्ट-टू-मोबाइल टेक्नोलॉजी एजुकेशन मैटेरियल के प्रचार, डिजास्टर मैनेजमेंट और लोगों को महत्वपूर्ण अलर्ट देने के काम आएगी। समझौता ज्ञापन  पर आईआईटी  कानपुर के निदेशक प्रो. मनिंद्र अग्रवाल और भास्कराचार्य नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस एप्लीकेशन एंड जियोइन्फॉर्मेटिक्स  के महानिदेशक टीपी सिंह ने हस्ताक्षर किए। यह कार्यक्रम दिल्ली में आयोजित किया गया।

आईआईटी निदेशक प्रो. मणीन्द्र अग्रवाल ने कहा कि देश  के लिए डाइरेक्ट टू मोबाइल  तकनीक की परिवर्तनकारी क्षमता पर जोर दिया गया है। भारत जैसे विविधतापूर्ण और भौगोलिक रूप से विशाल देश में डाइरेक्ट टू मोबाइल  तकनीक शिक्षा तक समान पहुंच प्रदान कर डिजिटल विभाजन को पाट सकती है। इस इनोवेशन में देश के हर कोने तक पहुंचने की क्षमता है, जिससे गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक सामग्री सीधे मोबाइल उपकरणों तक पहुंच सकती है।
बीआईएसएजी-एन के निदेशक टीपी सिंह ने कहा कि हमारी संस्था  हमेशा शिक्षा और जन कल्याण के उद्देश्य को आगे बढ़ाने के लिए उभरती हुई तकनीकों को अपनाने में सबसे आगे रहा है। डाइरेक्ट टू मोबाइल शैक्षिक सामग्री के प्रसार के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव लाने और आपात स्थितियों के दौरान महत्वपूर्ण जानकारी के तेजी से वितरण को सुनिश्चित करने में बहुत आशाजनक है। हम आश्वासन देते हैं कि इंस्टिट्यूट जल्द से जल्द इसके कार्यान्वयन को सुनिश्चित करने के लिए पूरा समर्थन देगा।
संस्था के पराग नाइक ने इस बात पर जोर दिया कि डाइरेक्ट टू मोबाइल  की तैनाती से छात्रों, शिक्षकों और आम जनता को उच्च गुणवत्ता वाली शैक्षिक सामग्री प्रदान करने में यूजीसी के प्रयासों को काफी बढ़ावा मिलेगा। उनका कहना था कि यह तकनीक भारत में डिजिटल शिक्षा के परिदृश्य को बदल सकती है।