
आ स. संवाददाता
कानपुर। गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज, कानपुर के नेत्र रोग विभाग के डॉक्टरों ने आधुनिक विधि का प्रयोग कर एक लड़की की कॉर्नियां से 4 लोगों की जिंदगी रोशन कर दी। अमूमन एक कॉर्निया से एक नेत्रहीन को ही रोशनी मिलती है। लेकिन यहां पर डॉक्टरों ने ऐसा करके मेडिकल कॉलेज के नाम एक और उपलब्धि जोड़ दी हैं। बता दें कि इस आधुनिक विधि का प्रयोग प्रदेश में पहली बार किया गया है। पूरे उत्तर प्रदेश में किसी भी मेडिकल कॉलेज में अभी मोरिया माइक्रो किरेटोम विधि का प्रयोग नहीं किया गया है।
नेत्र रोग विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि जो आंखें हेल्दी होती है। उनकी कार्निया से ये संभव हो सकता है। पिछले दिनों कानपुर के कृष्णा नगर इलाके में एक 20 वर्षीय लड़की का निधन हो गया था। उसकी कॉर्निया दान की गई थी। दोनों कॉर्निया काफी अच्छी थी।
जो कॉर्निया हम लोगों को मिली थी उसमें 300 के करीब एंडोथीलियन सेल काउंट पाया गया था। इस तरह की एक कॉर्निया का प्रयोग हम लोग दो लोगों में कर सकते हैं और दो कॉर्निया है तो 4 लोगों में कर सकते हैं।
डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि एक कॉर्निया 500 माइक्रॉन की होती है। इसको हम कई भागों में विभाजित कर सकते है। मोरिया माइक्रो किरेटोम विधि के माध्यम से एक कॉर्निया को हम 300 और 200 माइक्रॉन में विभाजित कर लेते हैं।
इसके बाद कॉर्निया में जिस परत में दिक्कत होती है, उस परत में उसे लगा दिया जाता है। इस तरह से हम लोगों ने दो कॉर्निया को 4 भागों में विभाजित कर लिया।
डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि मोरिया माइक्रो किरेटोम विधि को मैंने एम्स में सीखा था। इसका प्रयोग अब यहां पर कर रहे हैं। कानपुर मेडिकल कॉलेज में कॉर्निया को 14 दिनों तक हम लोग सुरक्षित रख सकते हैं।
इस कॉर्निया को हम मोरिया माइक्रो किरेटोम विधि से दो भागों में बांट लेते हैं। इसके बाद जिसको जिस माइक्रोन की जरूरत होती है। उसके उसी माइक्रोन की कॉर्निया लगाकर उसकी रोशनी वापस ले आते हैं।
इस कॉर्निया ट्रांसप्लांट का लाभ तीन जिलों के मरीजों को मिला। फतेहपुर का एक, कानपुर देहात का एक और कानपुर नगर के दो मरीज लाभांवित हुए हैं।
डॉ. शालिनी मोहन ने बताया कि मेडिकल कालेज में कॉर्नया बैंक के खुलने से अब यहां पर 14 दिनों तक कार्नीया को सुरक्षित रख सकते हैं। इसका लाभ केवल कानपुर को ही नहीं होगा, बल्कि शहर के आसपास के जिले भी इससे लाभांवित होंगे।