May 23, 2025

संवाददाता 

कानपुर।  छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में स्कूल ऑफ आर्ट, ह्यूमैनिटीज एंड सोशल साइंसेस द्वारा मल्टीडिसिप्लिनरी  एप्रोच  टू  सस्टेनेबिलिटी  विषय पर एक दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन मंगलवार को किया गया। इस सम्मलेन का उद्घाटन  विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक, मुख्य अतिथि एनआईईपीए  के डायरेक्टर प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा, विशिष्ट अतिथि आईआईटी कानपुर से प्रो. महेंद्र कुमार सिंह, प्रति कुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी, कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव द्वारा विवि के सीनेट हॉल में किया गया । विवि में आयोजित इस इंटरनेशन कॉन्फ्रेंस में 150 से अधिक रिसर्च पेपर 11 टेक्निकल सेशन में प्रस्तुत हुए। कार्यक्रम में 300 शोधार्थियों ने भाग लिया। 

सम्मलेन में  5 अंतर्राष्ट्रीय विश्वविद्यालयों के प्रतिनिधियों ने भी हिस्सा लिया। सम्मेलन में नीदरलैंड और अमेरिका के पांच प्रमुख विश्वविद्यालयों —लुइसियाना यूनिवर्सिटी, ऑरगन स्टेट यूनिवर्सिटी, एटमपोर स्टेट यूनिवर्सिटी, नॉर्थ कैरोलिना स्टेट यूनिवर्सिटी और टेक्सस की जेवियर यूनिवर्सिटी — से भागीदारी रही।, नॉर्थ कैरोलिना, मिसौरी, ओरेगन और टेक्सास से प्रतिनिधियों ने वैश्विक दृष्टिकोणों को साझा किया।

इंटरनेशनल कांफ्रेंस के उद्घाटन के अवसर पर कुलपति प्रो. विनय कुमार पाठक ने कहा कि सस्टेनेबिलिटी का मूल अर्थ है कि जियो और जीने दो। उन्होंने कहा कि सस्टेनेबिलिटी केवल मावन जाति तक सीमित नहीं बल्कि इसमें पशु, वनस्पतियां इत्यादि भी शामिल है। उन्होंने सस्टेनेबिलिटी को समझाते हुए कहा कि पेड़ की केवल एक पत्ती तोड़ने से कही न कही इकोसिस्टम प्रभावित होता है। आने वाली जनरेशन के लिए सस्टेनेबल वर्ल्ड आवश्यक है। आने वाली पीढ़ी के लिए साफ हवा, पानी, स्वास्थ्य आदि समस्याओं को हम सस्टेनेबिलिटी को अपनाकर कम कर सकते है। उन्होंने कहा कि भारत के लिए सस्टेनेबिलिटी कोई नया विषय नहीं है, प्राचीन काल से भारतीय जीवन शैली सस्टेनेबिलिटी को प्रमोट करती आई हैं। हमारे वेदों ने सर्वे भवन्तु सुखिनः का संदेश दिया है जो हमारी संस्कृति में स्थिरता को दिखाता है।

मुख्य अतिथि प्रो. प्रदीप कुमार मिश्रा ने डिसिप्लिनरी, मल्टीडिसिप्लिनरी इंटरडिसिप्लिनरी और ट्रांसडिसिप्लिनरी के अंतर को बताया। उन्होंने कहा कि हमे संस्टेनबल उपभोग करना होगा ताकि आने वाली पीढ़ी को कठिनाई न हो। उन्होंने कहा कि सस्टेनेबिलिटी के लिए हमे मल्टीडिसिप्लिनरी अप्रोच के साथ बढ़ना होगा अर्थात् हमें एक विषय के साथ साथ अन्य विषयों का भी अध्ययन करना होगा। हमे ज्ञान, चिंतन, क्रिया तीनों में समानता हो अर्थात जैसा हमारे पास ज्ञान हो वैसा चिंतन करे और उसी प्रकार हम उसे अपनी क्रिया में लाए।

प्रतिकुलपति प्रो. सुधीर कुमार अवस्थी ने कहा कि भारत का सादा जीवन, उच्च विचार का मॉडल विश्व पटल पर  लो कंजम्पशन का प्रतिनिधित्व करता है। उन्होंने कहा कि यह अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन सामाजिक और आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण है। कुलसचिव डॉ. अनिल कुमार यादव ने कहा कि हमारा विश्वविद्यालय सस्टेनेबिलिटी पर अलग अलग विषयों पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन कर चुका है। उन्होने कहा कि आज के समय में जलवायु परिवर्तन ज्वलंत समस्या है जिसे हम सस्टेनेबिलिटी के माध्यम से इसका समाधान प्राप्त कर सकते है।

रोबोटिक्स भी सस्टेनेबिलिटी में सहायक 

सम्मेलन में कई विशिष्ट विशेषज्ञों ने विचार साझा किए। प्रो. आशीष दत्ता प्रमुख, मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग, आईआईटी कानपुर ने रोबोटिक्स और स्थिरता के बीच संबंध को उजागर किया और बताया कि ऑटोमोशन, सहायक प्रौद्योगिकी और स्मार्ट इंफ्रास्ट्रक्चर में रोबोटिक सिस्टम हमारे जीवन को आकार दे रहे हैं। उन्होंने सस्टेनेबिलिटी डेवलेपमेंट के लक्ष्यों को बताया जिसमें अच्छा स्वास्थ्य स्वच्छता, साफ पानी जीरो हंगर आदि शामिल है।

प्रो. महेन्द्र कुमार सिंह एलएनआईपीई, ग्वालियर, जिन्होंने वर्चुअल रूप से भाग लिया। उन्होंने कहा कि सफलता अच्छे स्वास्थ्य पर डिपेंड है। उन्होंने कहा कि फिजिकल एक्विटी भी जीवन का अहम पहलू है।

तकनीकी सत्रों में प्रतिभागियों ने शोध पत्र प्रस्तुत किए

कॉन्फ्रेसं के उद्घाटन समारोह के पश्चता 11 तकनीकी सत्रों में 150 से अधिक शोध पत्र प्रस्तुत किए गए। जिसमें सस्टेनेबिलिटी के विभिन्न आयामों पर अनुसंधान के सन्दर्भ में चर्चा की गयी। 

वहीं समापन समारोह में  स्कूल ऑफ टीचर एजुकेशन की डायरेक्ट डॉ.रश्मि गोरे ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में शोधार्थियों ने सस्टेनेबल डेवलेपमेंट पर अपने विचारों को प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि इस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से अमृत मंथन के रूप में अच्छे शोध विचार आए है जिन्हें आगे प्रकाशित किया जाएगा । समापन समारोह में पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ विशाल शर्मा ने कहा कि एक दिवसीय कॉन्फ्रेंस में शोध पत्र प्रस्तुतिरण के साथ-साथ हमे भविष्य के पथ के लिए भी सस्टेनेबिलिटी पर सुचारू रूप से काम करना होगा। उन्होंने कहा कि हमे एक कुटुंब के रूप में आगे आकर सतत विकास के लिए कार्य करने होंगे। समापन समारोह में छात्रों ने अंतर्राष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस से जुड़े अपने अनुभवों को साझा किया। कार्यक्रम में प्रतिभागीयों को सर्टिफिकेट भी प्रदान किए गए।

कार्यक्रम में डॉ. किरण झा, डॉ. अंशू सिंह, डॉ. गोपाल सिंह, डॉ. श्रवण कुमार सिंह यादव, डॉ. आशीष कटियार, डॉ. दिवाकर अवस्थी, डॉ. ओम शंकर गुप्ता सहित भारी संख्या में छात्र छात्राएं मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन रिसर्च स्कॉलर तेजस्वी शर्मा ने किया।