February 5, 2025

आ स. संवाददाता 
कानपुर।
उत्तर प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन का ये सत्र भी फ्लॉप ही रहा। एसोसिएशन में हुए तमाम बदलाव के बाद भी हाथ कुछ नहीं लगा। रणजी ट्राफी हो, सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी या फिर टी-20 सभी में यूपी टीम को बाहर का रास्ता देखना पड़ा।
इस बार एसोसिएशन में जब कई बड़े बदलाव किए गए, तो माना जा रहा था कि इस बार यूपी क्रिकेट की कुछ दशा बदलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं दिखाई दिया। बीच सत्र में भी काफी बदलाव किये गए, लेकिन परिणाम जैसा का तैसा ही रहा। इतना सब कुछ होने का बाद भी यदि तस्वीर नहीं बदली तो अब यूपीसीए को गहन चिंतन की जरूरत है।
2019 में यूपीसीए ने भारतीय टीम के पूर्व गेंदबाज सुनील जोशी को बतौर कोच यूपी टीम से जोड़ा था। इसके बाद सुनील बीसीसीआई के चीफ सेलेक्टर बन गए थे, और यहां से छोड़कर चले गए थे। वहां का कार्यकाल पूरा होने के बाद 2023 में फिर से यूपी से जुड़े, लेकिन इसके बाद भी सीनियर टीम के प्रदर्शन में कुछ खास बदलाव नजर नहीं आया। इसके बाद बीच सत्र में ही चयन समिति में भारतीय टीम के पूर्व खिलाड़ी प्रवीण कुमार को भी जोड़ा गया, लेकिन उससे भी कुछ नहीं हुआ।
यूपी टीम ने रणजी के 5 मुकाबले खेले। इसमें से 1 में हार का सामना किया, बाकि 4 ड्रा रहे। इसके साथ ही यूपी टीम 6 अंक के साथ बाहर हो गई। इसी तरह विजय हजारे ट्रॉफी में भी यूपी ने 6 मैच खेले, जिसमें कि 3 में जीत दर्ज की, 2 में हार का सामना किया और एक मैच रद्द हो गया था। इसमें 14 अंक के साथ अपने ग्रुप में तीसरे स्थान पर थी।
सैयद मुश्ताक अली टी-20 ट्रॉफी में यूपी टीम ग्रुप सी में थी और 7 मैच में 5 में जीत दर्ज की और 2 में हार का सामना करना पड़ा। इसमें भी टीम 20 अंक के साथ बाहर हो गई।
यूपीसीए ने इस बार हर फार्मेट में अपने कप्तान भी बदले। लेकिन कोई भी कप्तान अपेक्षाओं पर खरा नहीं उतरा। रणजी में आर्यन जुयाल को टीम की कमान सौंपी गई थी। वहीं विजय हजारे ट्रॉफी में भारतीय टीम के बल्लेबाज रिंकू के हाथों टीम की कमान थी। इसके अलावा सैयद मुश्ताक अली ट्राफी में भारतीय टीम के पूर्व स्टार गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को कप्तान बनाया गया था। इस ट्राफी में टीम क्वार्टर फाइनल तक पहुंची थी।
यूपीसीए के सूत्रों की माने तो बीच सत्र में भारतीय टीम के पूर्व क्रिकेटर प्रवीण कुमार और ज्ञानेंद्र पांडेय को शामिल जरूर किया गया, लेकिन उनकी सुनी किसी ने नहीं। इसी का परिणाम रहा कि टीम के प्रदर्शन में कुछ बदलाव नहीं हो पाया और राजनीति ही हावी रही।
यूपी के एक मात्र बल्लेबाज आर्यन जुयाल का ही इस पूरे सीजन में बल्ला अच्छा चला, जिन्होंने तीनों फॉर्मेट में अपना अच्छा प्रदर्शन दिखाया। उन्होंने रणजी ट्रॉफी के पांच मैचों में 47.00 की औसत से 376 रन बनाए। इसके बाद टी-20 में 24.44 की औसत से 220 रन बनाए। विजय हजारे ट्रॉफी में 59.50 की औसत से 238 रन बनाए।
यूपीसीए ने अपने क्रिकेट को निखारने के लिए बाहर के खिलाड़ियों पर भी दांव लगाया, मगर वो भी सफल नहीं हो पाया। इस सीजन में सबसे खराब प्रदर्शन दिल्ली से आए नितीश राणा का रहा, जिन्होंने 4 रणजी ट्रॉफी मैचों की छह पारियों में 147 रन बनाए। टी-20 क्रिकेट में नौ मैचों में 13.87 की औसत से सिर्फ 3 और विजय हजारे ट्रॉफी के दो मैचों में सिर्फ 17 रन ही बनाए।
विजय हजारे ट्रॉफी टीम की कमान संभालने वाले भारतीय टीम के बल्लेबाज रिंकू सिंह का भी बल्ला नहीं चल सका। उन्होंने 5 मैचों में 32.66 की औसत से सिर्फ 98 रन ही बनाए।
विजय हजारे ट्रॉफी के लिए घोषित हुई टीम में जब यूपी के सीनियर खिलाड़ी अंकित राजपूत को नजर अंदाज किया गया, तो उन्होंने अपना इस्तीफा देकर एसोसिएशन के मुंह पर तमाचा लगाया था। हालांकि उनके इस्तीफे का कारण कुछ और ही बताए जा रहा है। इसको लेकर चर्चाएं तो काफी कुछ चली। इसी तरह से गेंदबाज जीशान अंसारी को भी नजर अंदाज किया, जिन्होंने यूपी टी-20 में सर्वाधिक 24 विकेट लिए थे।