आ स. संवाददाता
कानपुर। घाटमपुर के शेखपुर नौरंगा गाँव के निवासी मुलायम सिंह के पुत्र दीपक ने केवल आईएएस बनने की ठान रखी थी। कई विभागों में नौकरी मिलने के बाद भी उसने ज्वाइन नहीं किया था। आईएएस न बन सकने से अवसादग्रस्त होकर उसने अंत में मौत को ही गले लगा लिया।
मृतक दीपक के पिता ने बताया कि मेरा बेटा कहता था कि उसका टेलेंट टीचर बनने लायक नहीं है। जिंदगी सिर्फ आईएएस की होती है। मुझे नहीं मालूम था, जिसे हम उसका जुनून समझते थे, वही उसकी मौत का कारण बन जाएगा।
घाटमपुर के मुलायम सिंह के बेटे ने बिहार में अध्यापक पद के जॉइनिंग लेटर को हाथ में लेकर सुसाइड कर लिया। पिता ने बताया कि मैंने सोचा था कि दीपक मेरी बुढ़ापे की लाठी बनेगा। लेकिन वो लाठी ही टूट गई। हमारा ख्याल कौन करेगा। यही सोचते हुए कलेजा फटता है।
दीपक का सपना था कि वह आईएएस बने। उसको आईएएस से कम की नौकरी मंजूर नहीं थी। वह कानपुर के दामोदरनगर की एक कोचिंग सेंटर में तैयारी कर रहा था। इसका रिजल्ट भी मिला। वह बिहार में अध्यापक के पद पर पर सेलेक्ट भी हो गया। हमने उसको समझाया कि पहले नौकरी जॉइन कर लो। फिर सिविल सेवा की तैयारी भी करते रहना। मगर वो खुद को असफल ही मान रहा था। उसपर डिप्रेशन इतना कैसे हावी हुआ, ये नहीं समझ आया।
पोस्टमॉर्टम होने के बाद मृतक दीपक का शेखपुर नौरंगा गांव में अंतिम संस्कार किया गया। पिता ने बताया कि मेरा बेटा शुरू से ही पढ़ने में होशियार था। इंटर के बाद ही वह पुलिस भर्ती में कांस्टेबल के लिए सेलेक्ट हो गया था। उसने नेवी का एग्जाम भी निकाला था। दोनों के जॉइनिंग लेटर भी आए। मगर उसने ठुकरा दिया। उसे तीसरी नौकरी बिहार में अध्यापक के पद पर मिली थी। उसको सोमवार को नौकरी जॉइन करना था। उससे परिवार में इसी को लेकर बातचीत हुई थी। मगर उसने उससे पहले ही फंदे पर झूलकर सुसाइड कर लिया।