
आ स. संवाददाता
कानपुर। लोगों में होने वाली दिल की समस्या अब बहुत आम बात होती जा रही है। इस बीमारी से किसी भी उम्र के लोग अब अछूते नहीं रह गए हैं। बच्चों के दिल की मांसपेशियां कमजोर होने के कारण उनका हार्ट फेल हो रहा है। इसे शुरु में ही पहचान करके इसका संपूर्ण इलाज संभव हो सकता है।
कानपुर के कॉर्डियोलॉजी अस्पताल के निदेशक डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि हर मौत को हम हार्ट अटैक नहीं कह सकते। हार्ट में 3 प्रकार की दिक्कतें हो सकती है। पहला हार्ट अटैक, दूसरा हार्ट फेल, तीसरा हार्ट ब्लॉक होना। हार्ट अटैक तब होता है जब हृदय की धमनियों में किसी प्रकार की रुकावट आ जाती है। हार्ट फेल तब होता है जब आपके हृदय की मांसपेशियां कमजोर हो जाती है और हृदय पंप करना कम कर देता है। हार्ट ब्लॉक तब होता है जब हृदय की नस में कोई रुकावट होती है और हृदय की गति अचानक रुक जाती है।
डॉ. वर्मा ने बताया कि बच्चों में हमेशा केवल हार्ट फेल की समस्या ही होती है। इसके पीछे का कारण है कि जब बच्चा पैदा होता है तो उसी समय उसके दिल का मुख्य वॉल्व नली से चिपका हुआ होता है। इस कारण भरपूर मात्रा में ऑक्सीजन दिल को नहीं मिल पाती है। ऐसे में जब बच्चा कोई मेहनत वाला काम करता है तो उस दौरान उसे अधिक ऑक्सीजन की जरूरत पड़ती है और उस नली से ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में नहीं मिल पाती है तो ऐसे में उसका हार्ट फेल हो जाता है।
डॉ. राकेश वर्मा ने बताया कि इसका इलाज बहुत ही आसान विधि से होता है। बच्चों में ये लक्षण 4 से 5 साल की उम्र के अंदर ही दिखाई देने लगते हैं। ऐसे में समय पर इलाज करा लेना बेहतर होता है।
इस समस्या का इलाज बैलून विधि से किया जाता है। इसमें न तो चीरा लगाने की जरूरत होती है और ना ही बच्चे को बेहोश किया जाता है। इस बैलून के माध्यम से वॉल्व को फैला दिया जाता है।
इस प्रकार से इस समस्या से लंबे समय के लिए फुर्सत हो जाती है। यदि 10-15 साल बाद फिर से कोई दिक्कत महसूस हो, तो फिर से इसी विधि का प्रयोग कर इलाज किया जाता है।