July 1, 2025

संवाददाता
कानपुर ।
  कोर्ट का फर्जी आदेश बनाने और करोड़ों की संपत्ति पर कब्जा करने के मामले में नवाबगंज पुलिस ने बिल्डर समेत 4 के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है। कोर्ट के आदेश के बाद एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए हैं। पीड़ित ने कुछ वकीलों पर भी इस फर्जीवाड़े में शामिल होने का आरोप लगाया है। विवेचना शुरू कर दी गई है।
आजाद नगर निवासी आलोक झंवर का चाचा प्रदीप से प्रॉपर्टी को लेकर विवाद चल रहा है। आलोक के मुताबिक आजाद नगर स्थित संपत्ति के वह मालिक हैं और विधिक रूप से काबिज व दाखिल हैं। इसके बावजूद चाचा प्रदीप व उनकी पत्नी ऊषा ने फर्जी दस्तावेज बनाकर बिल्डर संजय पंजवानी के हक में 22 अक्तूबर 2020 को एग्रीमेंट कर दिया। इसके एवज में उन्होंने 3.65 करोड़ रुपये ले लिए। इसके कुछ दिनों बाद संजय पंजवानी ने उनकी संपत्ति पर दबाव बनाकर कब्जा करने का प्रयास किया। तब उन्होंने अपने चाचा और चाची के खिलाफ कोर्ट में सिविल मुकदमा दाखिल किया, जिसकी सुनवाई सिविल जज सीनियर डिवीजन में चल रही है।
जून 2024 में नवाबगंज पुलिस बिल्डर द्वारा लिखित शिकायती पत्र और कोर्ट के निर्णय की प्रति लेकर आलोक के यहाँ पहुंची। पुलिस के साथ में सभी विपक्षी भी थे। पुलिस ने बताया कि 15 अप्रैल 2024 को सिविल कोर्ट ने मकान खाली करने का आदेश पारित कर दिया है।
इसी आधार पर पुलिस ने मकान खाली करने को कहा। यह सुनकर वह सदमे में आ गए। उन्होंने तत्काल अपने अधिवक्ता से संपर्क किया। पुलिस को उन्होंने बताया कि पिछली तारीख पर वह कोर्ट में मौजूद थे। इस मामले में अग्रिम सुनवाई की लिए तारीख दी गई थी। इसके बाद पुलिस भी रुक गई। कोर्ट में जानकारी करने पर पता चला कि फाइल गायब हो गई है। न्यायिक अधिकारी से शिकायत करने पर कुछ समय बाद पत्रावली मिली जिसमें किसी तरह का कोई आदेश पारित नहीं किया गया था। आलोक ने आरोप लगाया कि उनका करोड़ों की कीमत का मकान हड़पने के लिए पत्रावली गायब करायी गई, फिर उसके मूल दस्तावेज गायब कर न्यायिक अधिकारी विनीत यादव के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर मकान खाली कराने का आदेश तैयार किया गया। उसकी सत्यापित प्रति भी नकल कार्यालय से प्राप्त कर ली गई।
आलोक ने आरोप लगाया है कि बिल्डर संजय और चाचा प्रदीप झंवर ने लाभ लेने के लिए केडीए में भी कोर्ट के आदेश की सत्यापित प्रति दाखिल की थी, जो एक गंभीर अपराध है। उन्होंने आरोप लगाया कि संजय पंजवानी, प्रदीप उनकी पत्नी ऊषा और मनीष सिंह ने एकराय होकर उनकी संपत्ति पर कब्जा करने के उद्देश्य से फर्जी आदेश तैयार किया और केडीए में नामांतरण की कार्यवाही में भी उसका प्रयोग किया।
उन्होंने इस मामले में कुछ वकीलों पर भी आरोप लगए है। आलोक ने बताया कि उन्होंने यूपी बार काउंसिल में भी वकीलों की शिकायत की थी जिस पर समिति ने जांच की थी और वकीलों को दोषी पाते हुए जिला जज व पुलिस आयुक्त को कार्रवाई के लिए पत्र भेजा था। बहरहाल समिति की कार्रवाई पर यूपी बार काउंसिल ने ही रोक लगा दी थी।
इस मामले में डीसीपी श्रवण सिंह ने बताया कि कोर्ट के आदेश पर मुकदमा दर्ज कर विधिक कार्रवाई की जा रही है।