December 3, 2024

आ स.संवाददाता  

कानपुर। दीपावली के बाद भाई—बहन के स्नेह का पवित्र पर्व भैया दूज कानपुर में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। शुभ मुहूर्त में बहनों ने अपने भाइयों के माथे पर तिलक लगाने के बाद उन्हें मिठाई खिलाई और लंबी आयु व जीवन में सुख—शांति की कामना की। वहीं भाइयों ने बहनों से आशीर्वाद लेने के बाद उन्हें आकर्षक उपहार भेंट किए। इसके साथ ही जो भाई इस पर्व में बहन के पास नहीं पहुंच पाए वह मोबाइल पर वीडियो कॉल कर एक—दूसरे को पर्व की बधाई दी। दीपावली पांच पर्वों का त्यौहार है, जिसमें रविवार को भैया दूज का पर्व शहर से लेकर गांव—गांव में धूमधाम के साथ मनाया गया। भाई बहनों के घर पहुंचें या बहन भाई के घरों पर पहुंची। बहनों ने भाइयों की सुख-समृद्धि के लिए व्रत रखा। विवाहिता बहनों ने दूर-दूर से आकर मायके में भाइयों के साथ भैया दूज का पर्व मनाया। बहनों ने शुभ मुहुर्त में भाइयों का तिलक किया, कलावा बांधा और भाइयों की आरती उतारकर उन्हें मिठाई खिलाई और नारियल भेंट किया। एक ओर जहां बहनों ने भाइयों को मिठाई खिलाई तो भाइयों ने बहनों को आकर्षक उपहार दिये। इसके साथ ही भाइयों ने बहनों की रक्षा का भी संकल्प लिया। 

भैया दूज को लेकर रविवार को बाजारों में एक बार फिर रौनक देखी गई, खासकर मिठाइयों की दुकान व गिफ्ट वाली दुकानों में। मिठाइयों की दुकानों में कुछ बहनें भाइयों को लेकर पहुंची और भाइयों की पसंद की मिठाई खरीदी गई। इसी तरह भाइयों ने भी गिफ्ट की दुकानों में बहन की पसंद के उपहार खरीदे। इस प्रकार मिठाइयों, रेडीमेड कपड़ों और साड़ियों की दुकानों पर भी खासी भीड़ रही। वहीं शहर के रेलवे स्टेशनों व बस स्टॉप में भाई बहनों की भीड़ देखी गई। 

आचार्य रामऔतार पाण्डेय ने बताया कि दीपावली के बाद कार्तिक शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज का पर्व मनाया जाता है। यह पर्व भाई-बहन के पवित्र प्रेम का प्रतीक है। मान्यता है कि आज के दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है। भाई दूज का यह पर्व गोधन के नाम से भी जाना जाता है। इस पर्व को लेकर कई तरह की पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं। इसे यम द्वितीया भी कहते हैं। यम द्वितीया के दिन यमुना नदी में स्नान करने और वहीं यमुना तथा यमराज की पूजा करने का बड़ा महात्म्य माना जाता है। इस दिन बहन अपने भाई को तिलक कर उसकी लंबी उम्र के लिए यमराज से प्रार्थना करती है। स्कंद पुराण में लिखा है कि इस दिन यमराज को प्रसन्न करने से पूजन करने वालों को मनोवांछित फल मिलता है। पौराणिक कथा के अनुसार यमुना ने इसी दिन अपने भाई यमराज की लम्बी आयु के लिये व्रत रखा था और यमराज को अन्नकूट का भोजन कराया था।