
आ स. संवाददाता
कानपुर। नवरात्रि के चौथे दिन घाटमपुर स्थित मां कूष्मांडा मंदिर में भक्तों की भारी भीड़ देखी गई। सुबह से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए मंदिर पहुंच रहे थे । प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए थे। मंदिर की निगरानी सीसीटीवी कैमरों से की जा रही थी। शाम को दीपदान का विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया ।
यह प्राचीन मंदिर लगभग एक हजार वर्ष पुराना है। नवरात्रि के चौथे दिन यहां मां दुर्गा के चौथे स्वरूप मां कूष्मांडा की विशेष पूजा की जाती है। यह मंदिर आस्था का प्रमुख केंद्र है। भक्त मां को मिठाई, नारियल और चुनरी अर्पित करते हैं। मंदिर परिसर में मुंडन और जनेऊ जैसे मांगलिक कार्यक्रम भी होते हैं। यहां कई वर्षों से अखंड ज्योति जल रही है।
मंदिर की स्थापना से जुड़ी एक रोचक कथा है। मान्यता है कि करीब हजार साल पहले कुड़हा नाम का एक ग्वाला यहां गाय चराया करता था। उसकी गाय एक विशेष स्थान पर रुककर अपना दूध स्वतः ही वहीं गिरा देती थी। जब उस स्थान की खुदाई की गई तो वहां से मां की पिंडी निकली। चरवाहे के नाम पर ही मां का नाम कूष्मांडा पड़ा। आज भी मां की पिंडी से निरंतर जल रिसता रहता है। मंदिर के गर्भगृह में यही पिंडी स्थापित है।