संवाददाता।
कानपुर। नगर में आईआईटी में लगातार सुसाइड की घटना ने लोगों को हैरान कर दिया है। सभी के मन में एक सवाल है कि आखिर संस्थान के अंदर किस चीज को लेकर इतना तनाव हो रहा है। यदि छात्रों में तनाव जैसी स्थिति है तो काउंसिलिंग सेल उनको चिह्नित क्यों नहीं कर पा रही है? तनाव जैसी बात घर वालों को क्यों नहीं पता चल रही है? अगर तनाव नहीं है तो मौत का दूसरा कारण क्या है? तमाम सवालों के जवाब लोगों के मन में आ रहे हैं। माना जा रहा है कि काउंसिलिंग सेल पूरी तरह से इसमें फेल है। जहां एक तरफ इस घटना को लेकर शहर में हलचल है तो वहीं, आईआईटी प्रशासन इस पूरे मामले में चुप साधे है। अभी तक किसी ने भी इतनी गंभीर घटना में कोई प्रतिक्रिया नहीं दी हैं। वहीं, मीडिया सेल से भी इस विषय में शुक्रवार को कई बार बात करने का प्रयास किया गया। मगर उनका भी कोई जवाब नहीं आया। अभी तक कई ऐसे मामले सामने आए है, जिसमें छात्र एक दिन पहले तक ठीक रहता है और घर वालों से बातचीत भी करता रहता है। अचानक से उसके मौत की खबर घर पहुंचती है, लेकिन कारण अंतिम तक स्पष्ट नहीं हो पाता है। यह एक बड़ी बात है। कई मामले ऐसे भी है जिसमें छात्र पढ़ाई में तेज रहा है और रिजल्ट भी अच्छे आए। इसके बाद भी उसने सुसाइड कर लिया। घटना के बाद आईआईटी प्रशासन ने काउंसिलिंग सेल में सदस्यों की संख्या दोगुनी कर दी है। पहले इसमें छह सदस्य थे अब 12 हैं। यह सदस्य हर 15-15 दिन में छात्र-छात्राओं की काउंसिलिंग करेंगे और उनकी निगरानी भी करेंगे। इससे तनाव व अवसाद ग्रसित छात्र-छात्राओं को मानसिक रूप से स्वस्थ रखा जा सके। सप्ताह में सात दिन और 24 घंटे सक्रिय रखें जाने की बात कहीं गई थी। अभी तक काउंसिलिंग सेल में छह सदस्य ही थे। आईआईटी के अंदर छात्र-छात्राएं ही नहीं यहां के प्रोफेसर भी मानसिक तनाव से गुजर रहे है। संस्थान के अंदर ही 30 दिनों में एक प्रोफेसर, एक छात्र और छात्रा ने आत्महत्या की हैं। लेकिन इस ओर अब संस्थान क्या कदम उठाने वाला है अभी यह नहीं पता। प्रो. चिल्का की मौत के बाद संस्थान प्रशासन ने आपात बैठक बुलाकर काउंसिलिंग सेल को और मजबूत करने के साथ हमेशा सक्रिय रहने का आदेश दिया था। बैठक में कहा गया है कि हर छात्र को चिह्नित किया जाए जो मानसिक तनाव से गुजर रहा हो। फिर उनसे बातचीत कर उनकी समस्याओं पर चर्चा करें। सेल के सदस्य कक्षाओं में, हॉस्टल में, प्रयोगशाला में एक दूसरे से मिल रहे छात्र-छात्राओं के अलावा शिक्षकों से एक दूसरे की सेहत की खबर भी बीच-बीच में लेते रहेंगे। किसी छात्र पर संदेह होने पर तुरंत उसकी काउंसिलिंग करेंगे। साथ ही, निरंतर रूप से 15-15 दिन में सेल की ओर से कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा। इससे छात्रों में डिप्रेशन के कारण को जानने का प्रयास किया जाएगा। इसके बाद उनके साथ उस समस्या का समाधान भी यह टीम निकालने का प्रयास करेगी।